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Key Learnings:Basics of Stock MarketFinancial MarketSecrets of Derivative
जब दो मित्र मिलते हैं और एक बिज़नेस वेंचर पर फैसला करते हैं, तो सबसे पहले वे अपने स्वयं के फंड्स के साथ शुरूआत करते ह

जब दो मित्र मिलते हैं और एक बिज़नेस वेंचर पर फैसला करते हैं, तो सबसे पहले वे अपने स्वयं के फंड्स के साथ शुरूआत करते हैं और समय के साथ जब वेंचर बढ़ता है और विस्तारित होता है तब उन्हें और अधिक कैपिटल की जरुरत महसूस होती है। इसलिए, वे बिज़नेस में हिस्सेदारी के बदले अतिरिक्त फण्ड जुटाने के लिए आम जनता से संपर्क करने की योजना बनाते हैं। आम जनता फण्ड ऑफर करने के लिए सहमत होती है और बिज़नेस रिटर्न में उन्हें अपने इक्विटी शेयर इश्यू करता है।
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग या IPO उपरोक्त प्रक्रिया का एक सरलतम फॉर्मल रिप्रेजेंटेशन हैं׀
इसीलिए, परिभाषा के अनुसार, IPO उस प्रक्रिया को रेफ़र करता है जिसके द्वारा एक प्राइवेट कंपनी निवेश के लिए आम जनता को अपने स्टॉक की बिक्री करके एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन जाती है।
एक बार हम एक IPO के बेसिक कांसेप्ट के बारे में स्पष्ट हो जाते हैं, तो आइए अब देखते हैं कि ऐसी कौन सी कंपनियां हैं जो IPO में भाग ले सकती हैं?
खैर, कुछ रूल्स और रेगुलेशन के आधार पर, कोई भी कंपनी, अपने बिज़नेस के इस्टैब्लिशमेंट टेन्योर, साइज़ और टाइप के बावजूद भी एक IPO में भाग ले सकती है।
एक IPO में भाग लेने के लिए मूलभूत ज़रूरतों में से एक यह है कि वह कंपनी, जो लिस्टेड होना चाहती है, उसके पास कम से कम 10 करोड़ का मिनिमम पेड-अप कैपिटल के साथ कंपनी के फाइनेंसियल या उसके प्रमोटर की स्टेबिलिटी के तीन साल के रिकॉर्ड होना चाहिए।
विस्तृत क्राइटेरिया के लिए, आप हमेशा NSE और BSE वेबसाइटों को रेफेर कर सकते हैं।
अब किसी के मन में यह एक विचार आ सकता है कि कोई भी कंपनी अपनी ओनरशिप को शेयर या सार्वजनिक क्यों करना चाहेगी?
तो, मैं आपको बता दूं कि कंपनियों को अपने डेब्ट का बोझ को बढ़ाए बिना, अपने ऑपरेशन का सपोर्ट करने, डेब्ट चुकाने या बिज़नेस एक्सपेंशन और डेवलपमेंट के लिए बड़ी मात्रा में फण्ड की आवश्यकता होती है।
और ओनरशिप कण्ट्रोल के एक छोटे से अंश को छोड़ने के बदले में, इसे अच्छी विसिबिलिटी प्राप्त करने के साथ-साथ फंड्स के एक बड़े पूल तक पहुंच मिलती है।
तो, अब हम समझते हैं कि IPO एक प्राइवेट कंपनी द्वारा पब्लिक को शेयर देने का एक मेथड है। यह मुख्य रूप से प्राइवेट कंपनियों को पब्लिक से कैपिटल प्राप्त करने के लिए अवसर प्रदान करता है। इन कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा बताई गई आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए, इससे पहले कि वे पब्लिक को इक्विटी इश्यू कर सकें।
इसके अलावा, एक कंपनी जो जनता को अपने शेयर ऑफर करती है, वह कैपिटल को चुकाने के लिए बाध्य नहीं है। यह IPO को कंपनी के लिए फंड्स का एक बेहतर और प्रेफरेबल सोर्स बनाता है।
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद!
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निवेश क्या होता है
05:32
Chapter 1
निवेश क्या होता है?
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निवेश क्यों करें
04:04
Chapter 2
निवेश क्यों करें?
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निवेश करने के तरीके
04:48
Chapter 3
निवेश करने के तरीके क्या हैं?
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प्राइमरी वर्सेज सेकेंडरी मार्केट
02:34
Chapter 4
प्राइमरी वर्सेज सेकेंडरी मार्केट?
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आई पी ओ क्या होता है
03:09
Chapter 5
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) क्या होता है?
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आई पी ओ में कैसे भाग लें
04:53
Chapter 6
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) में कैसे भाग लें सकते है ?
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स्टॉक मार्केट क्या है
03:40
Chapter 7
स्टॉक मार्केट क्या है और यह कैसे काम करता है?
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शेयर बाजार के नियामक
03:27
Chapter 8
शेयर बाजार के नियामक कौन है और शेयर बाजार में उनकी भूमिकाएं क्या है?