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Key Learnings:Basics of Stock MarketFinancial MarketSecrets of Derivative
Chapter 3
म्यूचुअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट में कौन ज्यादा बेहतर है?

आइए हम पहले उनकी सही परिभाषाओं को समझें। म्यूचुअल फंड फाइनेंसियल सिक्योरिटीज की एक बास्केट है जिसे प्रोफेशनली एक्सपर्ट्स, जिन्हें फंड मैनेजरों के रूप में जाना जाता है, के द्वारा मैनेज किया जाता है। फिक्स्ड डिपॉजिट एक फिक्स्ड सम है जिसे हम बैंक में जमा करते हैं ताकि हम उस पर फिक्स्ड टाइम पीरियड के लिए इंटरेस्ट कमा सकें।
अब, उनके रिस्क और रिटर्न पर चर्चा करते हैं।
म्यूचुअल फंड के रिटर्न डायरेक्टली फंड में सिक्योरिटीज के मार्केट परफॉरमेंस से लिंक्ड होते हैं। इसी तरह, प्रत्येक फंड रिस्क का एक अलग लेवल ऑफर करता है, जो इसमें मौजूद सिक्योरिटीज पर निर्भर करता है।
दूसरी ओर, फिक्स्ड डिपॉजिट, डायरेक्टली स्टॉक मार्केट से लिंक्ड नहीं होते हैं। इसलिए, उनके रिटर्न पूर्व-निर्धारित और फिक्स्ड होते हैं, और उनमें बहुत कम रिस्क होती है। अगला, इन निवेशों में हुए खर्च की तुलना करते हैं। म्यूचुअल फंड में कई खर्च शामिल होते हैं जो एक निवेशक के कुल प्रॉफिट से काटे जाते हैं। म्यूचुअल फंड के स्मूथ फंक्शनिंग को सुनिश्चित करने के लिए इन खर्चों की कटौती की जाती है।
दूसरी ओर, चूंकि फिक्स्ड डिपॉजिट में न्यूनतम मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है, इसलिए इसमें कोई अतिरिक्त कॉस्ट शामिल नहीं है। अब, इन निवेशों पर टैक्सेशन के बारे में बात करते हैं। म्यूचुअल फंड से कमाया गया प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म के आधार पर कैपिटल गेन टैक्स के अधीन है। फिक्स्ड डिपॉजिट पर वार्षिक आधार से, ₹10,000 के ऊपर कमाए गए इंटरेस्ट पर 10% टैक्स डेडक्टेड सोर्स या TDS लगाया जाता है। अब जब हमने इन निवेशों की कुछ बेसिक फीचर्स को समझ लिया है, तो यह सवाल का जवाब देने का समय है – कौन सा उपकरण अच्छा कार्य करता है?
जैसा कि हम देख सकते हैं, म्युचुअल फंड और फिक्स्ड डिपाजिट नेचर में बहुत अलग हैं और इसलिए कोई भी विशिष्ट उत्तर नहीं है कि दोनों में से कौन बेहतर है। दोनों विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं; कस्टमर की रिस्क एपेटाइट पर निर्भर करता है।
यदि आप निरंतर आधार पर अपनी वेल्थ बढ़ाने के कम रिस्क वाले तरीके की तलाश कर रहे हैं, तो फिक्स्ड डिपाजिट आपके लिए सबसे अच्छा निवेश है। वहीं दूसरी ओर, यदि आप अपने निवेश पर हाई रिटर्न उत्पन्न करना चाहते हैं, और आपके पास हायर रिस्क एपेटाइट है, तो आपको निश्चित रूप से म्यूचुअल फंड को आज़माना चाहिए।
ऐसे ही इन निवेशों के नुकसान भी हैं।
म्यूचुअल फंड हाई रिटर्न ऑफ़र कर सकते हैं, लेकिन ये रिटर्न न तो फिक्स्ड हैं और न ही गारंटेड हैं।
वहीं दूसरी ओर, जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट में डिफाइंड रिटर्न होता है, इन्फ्लेशन द्वारा उनकी प्रभावशीलता को कम किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिये कि 3 वर्ष की फिक्स्ड डिपाजिट 6% का रिटर्न ऑफर करती है। यदि 3 साल के बाद इन्फ्लेशन 7% है, तो इसका मतलब है कि इन्फ्लेशन के लिए एडजस्ट करने के बाद आपके इफेक्टिव रिटर्न -1% हो गए हैं।
तो, इस सवाल का जवाब – कौन सा निवेश बेहतर है – करंट इंटरेस्ट रेट, स्टॉक मार्केट की वर्तमान स्थिति और सबसे महत्वपूर्ण बात, आपकी रिस्क लेने की क्षमता के जैसे कारकों पर निर्भर करेगा।
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Chapter 3
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